1.) ब्लैक होल क्या
है?
2.) ब्लैक होल कैसे बनता है?
3.) ब्लैक होल के द्वारा समय यात्रा कैसे सम्भव?
4.) ब्लैक होल पर समय की गति धीमी क्यों?
2.) ब्लैक होल कैसे बनता है?
3.) ब्लैक होल के द्वारा समय यात्रा कैसे सम्भव?
4.) ब्लैक होल पर समय की गति धीमी क्यों?
5.) इसमें कोई ग्रह चला जाये तो वह कहाँ जाता है?
6.) क्या पृथ्वी एक दिन ब्लैक होल के गर्त में समा जायेगी?
7.) ब्लैक होल के प्रकार!
8.) दिखता नहीं फिर वैज्ञानिक इसका पता कैसे लगाते हैं?
यह भी पढ़ें 15 Interesting Facts About Black Hole in Hindi | ब्लैक होल के बारे में 15 रोचक तथ्य
सभी से जुड़ी जानकारी आपको इस पेज पर दी गई है कृपया पूरा पढ़ें आपको अच्छी और उपयोगी जानकारी हासिल होगी ।
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हमारा ब्रह्माण्ड अनन्त है और उसमें अनगिनत रहस्य छुपे हुए हैं। कुछ
ही रहस्यों तक मानव की पहुँच हो चुकी है और नाजाने कितने अनसुलझे रहस्य ब्रह्माण्ड
में अभी मौजूद हैं। जिन्हें सुलझाने में विज्ञान भी अभी तक सफल नहीं हो पाया है। Black
Hole उन्ही रहस्यों में से एक है।
सबसे पहले बात करते हैं
कि-
1.) ब्लैक होल क्या है
[This Image is Taken From phys.org ]
[चित्र में एक ब्लैक होल एक तारे के द्रव्य(Matter)को अपनी तरफ खींचते हुए दिखाया गया है]
2.) ब्लैक होल कैसे
बनता है?
सरल शब्दों में कहा जाये तो यदि किसी भी वस्तु, तारा या कोई पिण्ड को संकुचित करके एक सीमा से छोटा कर दिया जाए तो वह ब्लैक होल में परिवर्तित हो जायेगी।
भैतिक विज्ञान के अनुसार उस सीमा को "Schwarzschild Radius" और कभी कभी "Gravitational Radius" भी कहा जाता है।
Schwarzschild radius R=2MG/c^2
यहाँ पर G गुरत्वकर्षण नियतांक है जबकि M वस्तु का द्रव्यमान किलोग्राम में है।
उदाहरण के लिए अगर पृथ्वी को इसकी Schwarzschild Radius 9 मिलिमीटर या 0.35 इंच की त्रिज्या से कम के गोले में संकुचित (उसकी आकृति को बिना परिवर्तित किये दबाकर छोटा करना) किया जाए तो वह ब्लैक होल में परिवर्तित हो सकती है
Schwarzschild Radius of Sun = 3 किलोमीटर
Schwarzschild Radius of Moon = 0.1 मिलिमीटर
सरल शब्दों में कहा जाये तो यदि किसी भी वस्तु, तारा या कोई पिण्ड को संकुचित करके एक सीमा से छोटा कर दिया जाए तो वह ब्लैक होल में परिवर्तित हो जायेगी।
भैतिक विज्ञान के अनुसार उस सीमा को "Schwarzschild Radius" और कभी कभी "Gravitational Radius" भी कहा जाता है।
Schwarzschild radius R=2MG/c^2
यहाँ पर G गुरत्वकर्षण नियतांक है जबकि M वस्तु का द्रव्यमान किलोग्राम में है।
उदाहरण के लिए अगर पृथ्वी को इसकी Schwarzschild Radius 9 मिलिमीटर या 0.35 इंच की त्रिज्या से कम के गोले में संकुचित (उसकी आकृति को बिना परिवर्तित किये दबाकर छोटा करना) किया जाए तो वह ब्लैक होल में परिवर्तित हो सकती है
Schwarzschild Radius of Sun = 3 किलोमीटर
Schwarzschild Radius of Moon = 0.1 मिलिमीटर
लेकिन विज्ञान के
अनुसार इन्हें इस सीमा तक संकुचित करना सम्भव नहीं है ।
जब किसी तारे की हाइड्रोजन या ऊर्जा ख़त्म हो जाती है तो वह धीरे धीरे ठंडा होने लगता है और जो तारे अपने सौर द्रव्यमान से 1.4 गुना द्रव्यमान या अधिक वाले होते हैं और अपने आपको अपने गुरत्वकर्षण के विरुद्ध संभाल नहीं पाते उनमे स्वतः सुपरनोवा(Supernova) या महनोवा विस्फोट (Explosion) होता है।इस विस्फोट के उपरान्त अगर उस तारे का कोई अवशेष बचता है तो वह बहुत ज्यादा घनत्व वाला न्यूट्रॉन तारा बन जाता है।और फिर उसमें अपार शक्ति के गुरूत्वीय खिंचाव के कारण स्वतः ही संकुचन होने लगता है और वह अवशेष अपनी Schwarzschild Radius से अधिक संकुचित होकर एक भयंकर और खतरनाक संरचना ब्लैक होल का निर्माण करता है ।
जब किसी तारे की हाइड्रोजन या ऊर्जा ख़त्म हो जाती है तो वह धीरे धीरे ठंडा होने लगता है और जो तारे अपने सौर द्रव्यमान से 1.4 गुना द्रव्यमान या अधिक वाले होते हैं और अपने आपको अपने गुरत्वकर्षण के विरुद्ध संभाल नहीं पाते उनमे स्वतः सुपरनोवा(Supernova) या महनोवा विस्फोट (Explosion) होता है।इस विस्फोट के उपरान्त अगर उस तारे का कोई अवशेष बचता है तो वह बहुत ज्यादा घनत्व वाला न्यूट्रॉन तारा बन जाता है।और फिर उसमें अपार शक्ति के गुरूत्वीय खिंचाव के कारण स्वतः ही संकुचन होने लगता है और वह अवशेष अपनी Schwarzschild Radius से अधिक संकुचित होकर एक भयंकर और खतरनाक संरचना ब्लैक होल का निर्माण करता है ।
3.) ब्लैक होल के
द्वारा समय यात्रा कैसे सम्भव?
समय यात्रा एक विज्ञान की परिकल्पना है जिसका कुछ लोग विरोध भी करते हैं कि समय यात्रा असम्भव है वहीं कुछ लोग समर्थन करते हैं ।
अगर विज्ञान की मानें तो समय यात्रा सम्भव है | महान वैज्ञानिक "अल्बर्ट आइंस्टीन" के द्वारा भी भौतिकी में दिए सापेक्षतावाद के सिध्दांत मतलब "Theory of Relativity" ने भौतिकी की दुनिया में एक अवधारणा को जन्म दिया कि प्रकाश की गति से समय यात्रा सम्भव है।
एक रहस्य और आपको बता दूँ इस अनन्त ब्रह्माण्ड में समय की रफ़्तार या गति वहाँ पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण के अनुसार कम या ज्यादा होती है | मतलब की जहाँ पर गुरुत्वाकर्षण ज्यादा है वहाँ पर आपकी घड़ी धीमी चलेगी और जहाँ पर गुरुत्वाकर्षण कम है वहाँ पर तेजी से । आप सोच रहे होंगे ये क्या बकबास है लेकिन ये सच है दोस्त !
आपको एक और बात बता दूँ हमारे अपने सूर्य के सौरमण्डल में उपस्थित सभी ग्रहों पर समय अलग अलग रफ्तार से चल रहा है, मंगल ग्रह पर समय पृथ्वी के मुकाबले तेज रफ्तार से चल रहा है, बृहस्पति ग्रह पर समय धीमी रफ्तार से चल रहा है, लेकिन सौरमंडल के सभी ग्रहों पर समय का यह अन्तर काफी मामूली है | अगर हम समय के इस अन्तर को महसूस करना चाहते हैं तो हमें ऐसे खगोलीय पिंड के पास जाना होगा जिसका गुर्त्वाकर्षण हमारे सूर्य से भी करोड़ों गुना ज्यादा है और ब्रह्माण्ड में ऐसी संरचनाएं भी मौजूद हैं जो समय को भारी मात्रा में प्रभावित कर रही हैं जिनमे से एक खतरनाक संरचना का नाम है ब्लैक होल जो कि मानो एक प्राकृतिक टाइम मशीन है।अभी तक कि ज्ञात मौजूद संरचनाओं में ब्लैक होल पर गुरुत्वाकर्षण सबसे अधिक प्रबल होता है इतना कि यह प्रकाश को भी 360° मोड़ देता है मतलब यहाँ से वापिस नहीं आने देता ।
समय यात्रा एक विज्ञान की परिकल्पना है जिसका कुछ लोग विरोध भी करते हैं कि समय यात्रा असम्भव है वहीं कुछ लोग समर्थन करते हैं ।
अगर विज्ञान की मानें तो समय यात्रा सम्भव है | महान वैज्ञानिक "अल्बर्ट आइंस्टीन" के द्वारा भी भौतिकी में दिए सापेक्षतावाद के सिध्दांत मतलब "Theory of Relativity" ने भौतिकी की दुनिया में एक अवधारणा को जन्म दिया कि प्रकाश की गति से समय यात्रा सम्भव है।
एक रहस्य और आपको बता दूँ इस अनन्त ब्रह्माण्ड में समय की रफ़्तार या गति वहाँ पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण के अनुसार कम या ज्यादा होती है | मतलब की जहाँ पर गुरुत्वाकर्षण ज्यादा है वहाँ पर आपकी घड़ी धीमी चलेगी और जहाँ पर गुरुत्वाकर्षण कम है वहाँ पर तेजी से । आप सोच रहे होंगे ये क्या बकबास है लेकिन ये सच है दोस्त !
आपको एक और बात बता दूँ हमारे अपने सूर्य के सौरमण्डल में उपस्थित सभी ग्रहों पर समय अलग अलग रफ्तार से चल रहा है, मंगल ग्रह पर समय पृथ्वी के मुकाबले तेज रफ्तार से चल रहा है, बृहस्पति ग्रह पर समय धीमी रफ्तार से चल रहा है, लेकिन सौरमंडल के सभी ग्रहों पर समय का यह अन्तर काफी मामूली है | अगर हम समय के इस अन्तर को महसूस करना चाहते हैं तो हमें ऐसे खगोलीय पिंड के पास जाना होगा जिसका गुर्त्वाकर्षण हमारे सूर्य से भी करोड़ों गुना ज्यादा है और ब्रह्माण्ड में ऐसी संरचनाएं भी मौजूद हैं जो समय को भारी मात्रा में प्रभावित कर रही हैं जिनमे से एक खतरनाक संरचना का नाम है ब्लैक होल जो कि मानो एक प्राकृतिक टाइम मशीन है।अभी तक कि ज्ञात मौजूद संरचनाओं में ब्लैक होल पर गुरुत्वाकर्षण सबसे अधिक प्रबल होता है इतना कि यह प्रकाश को भी 360° मोड़ देता है मतलब यहाँ से वापिस नहीं आने देता ।
ब्लैक होल के द्वारा
समय यात्रा करने से पहले हमारा ये जान लेना जरुरी है कि-
4.) आखिर
गुरुत्वाकर्षण की वजह से समय धीमा क्यों हो जाता है ?
मान लेते हैं कि एक box है जो जीरो ग्रेविटी में रखा हुआ है | अब box के ऊपर से एक प्रकाश किरण निकलती है जो box की तली में चली जाती है, यहां पर प्रकाश को box के ऊपर से तली तक जाने में कुछ समय लगेगा | अब मान लीजिये कि box ऊपर कि और त्वरण या accelerate करता हुआ ऊपर बढ़ता है | accelerate करते हुए box के ऊपर से फिर से एक प्रकाश किरण निकलती है और तली की ओर जाती है इस स्तिथि में ध्यान देने वाली बात ये है कि box accelerate करता हुआ आगे बढ़ रहा है | इस वजह से प्रकाश किरण को ऊपर से तली की ओर चलने में कम दूरी तय करनी पड़ेगी क्योंकि box की तली भी प्रकाश की ओर आगे बढ़ रही है इसलिए प्रकाश को ऊपर से तली तक पहुँचने में कम समय लगेगा।अब मान लेते हैं कि box के acceleration को और बड़ा दिया जाए तो इस स्तिथि में प्रकाश को ऊपर से तली तक जाने में और कम दूरी तय करनी पड़ेगी।क्योंकि बॉक्स की तली खुद प्रकाश कि और काफी तेजी से आगे बढ़ रही है।इसलिए प्रकाश को ऊपर से नीचे तक जाने में पहले से भी कम समय लगेगा | मतलब जैसे जैसे box का त्वरण acceleration बढ़ता जाएगा तो उसमे प्रकाश का ऊपर से तली तक जाने का समय कम होता चला जाएगा | आपको बता दूँ कि त्वरण यानी acceleration को ही गुरुत्वाकर्षण कहा जाता है | जैसे कि पृथ्वी की gravity 9.8 मीटर प्रति सेकंड^2 है | दूसरे शब्दों में पृथ्वी का त्वरण 9.8 मीटर प्रति सेकंड^2 है | यही gravity ब्लैक होल की अपार होती है और समय लगभग थम जाता है और सभी ग्रहों की अपनी अपनी gravity अलग अलग होती है।
मान लेते हैं कि एक box है जो जीरो ग्रेविटी में रखा हुआ है | अब box के ऊपर से एक प्रकाश किरण निकलती है जो box की तली में चली जाती है, यहां पर प्रकाश को box के ऊपर से तली तक जाने में कुछ समय लगेगा | अब मान लीजिये कि box ऊपर कि और त्वरण या accelerate करता हुआ ऊपर बढ़ता है | accelerate करते हुए box के ऊपर से फिर से एक प्रकाश किरण निकलती है और तली की ओर जाती है इस स्तिथि में ध्यान देने वाली बात ये है कि box accelerate करता हुआ आगे बढ़ रहा है | इस वजह से प्रकाश किरण को ऊपर से तली की ओर चलने में कम दूरी तय करनी पड़ेगी क्योंकि box की तली भी प्रकाश की ओर आगे बढ़ रही है इसलिए प्रकाश को ऊपर से तली तक पहुँचने में कम समय लगेगा।अब मान लेते हैं कि box के acceleration को और बड़ा दिया जाए तो इस स्तिथि में प्रकाश को ऊपर से तली तक जाने में और कम दूरी तय करनी पड़ेगी।क्योंकि बॉक्स की तली खुद प्रकाश कि और काफी तेजी से आगे बढ़ रही है।इसलिए प्रकाश को ऊपर से नीचे तक जाने में पहले से भी कम समय लगेगा | मतलब जैसे जैसे box का त्वरण acceleration बढ़ता जाएगा तो उसमे प्रकाश का ऊपर से तली तक जाने का समय कम होता चला जाएगा | आपको बता दूँ कि त्वरण यानी acceleration को ही गुरुत्वाकर्षण कहा जाता है | जैसे कि पृथ्वी की gravity 9.8 मीटर प्रति सेकंड^2 है | दूसरे शब्दों में पृथ्वी का त्वरण 9.8 मीटर प्रति सेकंड^2 है | यही gravity ब्लैक होल की अपार होती है और समय लगभग थम जाता है और सभी ग्रहों की अपनी अपनी gravity अलग अलग होती है।
आशा करता हूँ अब आप समझ
चुके होंगे कि gravity की
वजह से समय धीमा क्यों हो जाता है ? मतलब ब्रह्माण्ड में
मौजूद सभी खगोलीय पिंडों पर समय वहां पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से चल रहा
है।इसका परीक्षण भी किया जा चुका है।क्योंकि GPS Satellite में
लगी घड़ियाँ पृथ्वी की तुलना में थोड़ी तेज चलती हैं। लेकिन समय का यह अंतर एक सेकंड
के करोड़वें हिस्से जितना कम होता है। अब बात करते हैं-
3.2) ब्लैक होल के द्वारा समय यात्रा कैसे सम्भव?
इसे महसूस करने के दो तरीके हैं,
a) ब्लैक होल के पास स्तिथ किसी ग्रह पर जाकर क्योंकि वहाँ का
समय पृथ्वी की तुलना में बहुत धीमा होगा। मान लेते हैं एक ऐसे ग्रह पर जहाँ समय की
रफ़्तार पृथ्वी की तुलना में आधी है।अगर आप वहाँ पर 10 साल
बिताते हैं तो उसके साथ साथ पृथ्वी पर कैलेन्डर 20 साल आगे
जा चुका होगा और आप आने साथ के लोगों से 10 साल जवान दिखोगे !
मानो या न मानो पर ये वैज्ञानिक तथ्य है।
b) हम ऐसी स्पेस-शिप बनाएं जो ब्लैक होल की कक्षा में घूम सके और वहाँ पर भी समय की रफ़्तार पृथ्वी की अपेक्षा आधी है।ध्यान दें प्रभाव क्षेत्र के बाहर का स्पेस ब्लैक होल के प्रभाव से मुक्त होता है वहाँ पर स्पेस-शिप उड़ाया जाय। और उसमें 10 साल बिताया जाए तो आप पृथ्वी की अपेक्षा 10 साल भविष्य में अपने आपको महसूस करेंगे।लेकिन समय में यह यात्रा एक तरफा होगी।मतलब एक बार भविष्य में पहुँच गए तो वापस नहीं लौट सकते। लेकिन ब्लैक होल से समय यात्रा करने के लिए सबसे बड़ी समस्या सामने आती है कि हमारे पास सबसे नजदीक ब्लैक होल ही हमसे 1600 प्रकाश वर्ष (1 प्रकाश वर्ष = प्रकाश द्वारा एक साल में तय की गयी दूरी) दूर मौजूद है।जहाँ पहुचना अभी के विज्ञान के अनुसार सम्भव नहीं है।
तो क्या समय यात्रा कि कल्पना को यहीं अधूरा छोड़ दिया जाए?
नहीं दोस्त! अभी और भी थ्योरी ऐसी हैं जिनके द्वारा समय यात्रा संभव है !
b) हम ऐसी स्पेस-शिप बनाएं जो ब्लैक होल की कक्षा में घूम सके और वहाँ पर भी समय की रफ़्तार पृथ्वी की अपेक्षा आधी है।ध्यान दें प्रभाव क्षेत्र के बाहर का स्पेस ब्लैक होल के प्रभाव से मुक्त होता है वहाँ पर स्पेस-शिप उड़ाया जाय। और उसमें 10 साल बिताया जाए तो आप पृथ्वी की अपेक्षा 10 साल भविष्य में अपने आपको महसूस करेंगे।लेकिन समय में यह यात्रा एक तरफा होगी।मतलब एक बार भविष्य में पहुँच गए तो वापस नहीं लौट सकते। लेकिन ब्लैक होल से समय यात्रा करने के लिए सबसे बड़ी समस्या सामने आती है कि हमारे पास सबसे नजदीक ब्लैक होल ही हमसे 1600 प्रकाश वर्ष (1 प्रकाश वर्ष = प्रकाश द्वारा एक साल में तय की गयी दूरी) दूर मौजूद है।जहाँ पहुचना अभी के विज्ञान के अनुसार सम्भव नहीं है।
तो क्या समय यात्रा कि कल्पना को यहीं अधूरा छोड़ दिया जाए?
नहीं दोस्त! अभी और भी थ्योरी ऐसी हैं जिनके द्वारा समय यात्रा संभव है !
5.) इसमें कोई ग्रह चला जाये तो वह कहाँ जाता है?
कोई भी ग्रह या कोई बस्तु अगर ब्लैक होल के भीतर चली जाती है तो वह
बहुत सूक्ष्म टुकड़ो या अणुओं में बिखर जाएगी और अदृश्य हो जाती है और ब्लैक होल के
भीतर किसी अज्ञात जगह पर चली जाती है जिसका रहस्य आज तक विज्ञान भी नहीं सुलझा
पाया कि कोई वस्तु ब्लैक होल में विलय होने के बाद कहाँ जाती है।
[This Image is Taken From nasa.gov ]
6.) क्या पृथ्वी एक
दिन ब्लैक होल के गर्त में समा जाएगी?
अभी
तक ऐसा कोई भी ब्लैक होल नहीं है जो प्रथ्वी को निगल सके|अगर कोई ब्लैक होल सूर्य से बड़ा भी हो जाये तब भी प्रथ्वी
अपनी कक्षा में होगी जैसे अभी सूर्य के गुरुत्वीय प्रभाव में है, मतलब की ब्लैक होल के प्रभाव क्षेत्र से बाहर, और ब्लैक
होल अपने प्रभाव क्षेत्र से बाहर की किसी भी वस्तु को अपनी तरफ नहीं खींच सकता तो हमारी
प्रथ्वी ब्लैक होल से तो सुरक्षित है दोस्त आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है !!!
7.)ब्लैक होल के
प्रकार-
ब्लैक होल तीन प्रकार के होते हैं
a) Stellar mass Black Hole
ऐसा तारा जिसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से कुछ गुना अधिक होता है और गुरुत्वीय संकुचन के कारण अंततः ब्लैक होल बन जाता है उसे Stellar mass black hole कहा जाता है
b) Supermassive Black Hole
इस प्रकार के ब्लैक होल आकार में बहुत विशाल होते हैं और द्रव्यमान सूर्य की अपेक्षा लाखों गुना होता है, जिसका निर्माण आकाश गंगा के केन्द्र में होता है और घनत्व अपार होता है। हमारी आकाश गंगा गैलेक्सी के बीच में भी एक b) Supermassive Black Hole है जिसका घनत्व सूर्य से लगभग एक करोड़ गुना ज्यादा है।
c) Primordial Black Hole
ऐसे भी ब्लैक होल ब्रह्मांड में मौज़ूद हैं जिनका द्रव्यमान सूर्य से कम होता है और जिनका निर्माण गुरुत्वीय संकुचन के कारण न होकर अपने केन्द्रता पदार्थ और ताप के संपीड़ित होने के कारण हुआ है उसे Primordial Black Hole कहा जाता है वैज्ञानिकों का मानना है कि इनका निर्माण ब्राह्मण की उत्पत्ति के कारण हुआ है भौतिक वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग के अनुसार हमारे वैज्ञानिक ऐसे ब्लैक होल पर अध्ययन करके बहुत कुछ पता कर सकते हैं ।
ब्लैक होल तीन प्रकार के होते हैं
a) Stellar mass Black Hole
ऐसा तारा जिसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से कुछ गुना अधिक होता है और गुरुत्वीय संकुचन के कारण अंततः ब्लैक होल बन जाता है उसे Stellar mass black hole कहा जाता है
b) Supermassive Black Hole
इस प्रकार के ब्लैक होल आकार में बहुत विशाल होते हैं और द्रव्यमान सूर्य की अपेक्षा लाखों गुना होता है, जिसका निर्माण आकाश गंगा के केन्द्र में होता है और घनत्व अपार होता है। हमारी आकाश गंगा गैलेक्सी के बीच में भी एक b) Supermassive Black Hole है जिसका घनत्व सूर्य से लगभग एक करोड़ गुना ज्यादा है।
c) Primordial Black Hole
ऐसे भी ब्लैक होल ब्रह्मांड में मौज़ूद हैं जिनका द्रव्यमान सूर्य से कम होता है और जिनका निर्माण गुरुत्वीय संकुचन के कारण न होकर अपने केन्द्रता पदार्थ और ताप के संपीड़ित होने के कारण हुआ है उसे Primordial Black Hole कहा जाता है वैज्ञानिकों का मानना है कि इनका निर्माण ब्राह्मण की उत्पत्ति के कारण हुआ है भौतिक वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग के अनुसार हमारे वैज्ञानिक ऐसे ब्लैक होल पर अध्ययन करके बहुत कुछ पता कर सकते हैं ।
8.) दिखता नहीं फिर वैज्ञानिक इसका पता कैसे लगाते हैं?
[This Image is Taken From phys.org ]
John Michell के अनसार ब्लैक होल अद्रश्य होने के बावजदू
भी अपने आस पास निकटतम स्तिथ आकाशीय पिंडों पर अपना गुरुत्वीय प्रभाव डालते है ऐसे में बीच में अंधेरा होता है लेकिन आस पास की चीजें
किसी अद्रश्य गड्ढ़े (ब्लैक
होल) की तरफ खिंचती दिखाई देती हैं जिससे वहाँ ब्लैक
होल होने
का पता चलता है | द्रव्य, पिंड, ग्रह, तारे या प्रकाश सभी एक बिन्दु की तरफ खिंचते जाते हैं लेकिन उस बिन्दु से
वापस आता हुआ कुछ भी दिखायी नहीं देता, यहाँ तक की प्रकाश भी
और उसी बिंदु को या गड्ढ़े को नाम दिया जाता है .... ब्लैक
होल!!!
अगर
आपको ब्लैक होल से सम्बंधित जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ Share करें और अगर कोई सुझाव देना है या कोई सवाल है
ब्लैक होल से सम्बंधित तो कमेंट करें | आपका कीमती समय देने के
लिये धन्यवाद !!!
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